क्यों ज्यादा मतदान ने शेयर ब्रोकरों को बेचैन कर दिया है?
लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Elections 2019) में रिकॉर्ड मतदान होने की उम्मीद है. ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने 12 मई को छठे चरण के मतदान को देखते हुए इस बार कुल मतदान (सातों चरणों की वोटिंग मिलाकर) करीब 67 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है. यह लोकसभा के पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा है. 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में 66.4 फीसदी मतदान हुआ था.
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इस बार ज्यादा मतदान ने शेयर ब्रोकरों की बेचैनी बढ़ा दी है. इसकी वजह यह है कि देखा गया है कि ज्यादा मतदान की स्थिति में चुनाव के नतीजे अप्रत्याशित होते हैं. नोमुरा ने कहा है कि हिंदी भाषी राज्यों में ज्यादा मतदान देखने को मिला है. ये राज्य भाजपा के गढ़ रहे हैं.
विश्लेषकों का कहना है कि हालांकि मतदान में वोटरों की हिस्सेदारी और चुनावी नतीजों के बीच सिद्धांत रूप में कोई साफ संबंध नहीं दिखता है, लेकिन इस बार त्रिशंकुल लोकसभा (Hung Parliament) की उम्मीद ज्यादा दिखती है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सिक्योरिटीज के एमडी और सह-संस्थापक रामदेव अग्रवाल ने कहा कि अभी बाजार बीजेपी को 245 से 250 सीटें मिलने का अनुमान लगा रहा है. लेकिन आखिरकार अनुमान तो अनुमान हो होता है.
अग्रवाल ने कहा, "इस बार अनुमान गलत साबित हो सकता है. बीजेपी को 300 सीटें मिल सकती हैं या यह 245 से कम भी रह सकती हैं." ईटी नाउ के कंस्लटिंग एडिटर स्वामिनाथन अय्यर का कहना है कि अगर एनडीए 250 या इससे ज्यादा सीटें जीत जाती है तो उसे नई सरकार बनाने के लिए नए दलों का सहयोग मिल सकता है.
पिछले हफ्ते सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि कई ऐसे दल हैं, जो गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेस सरकार बनाने के लिए एक साथ आ रहे हैं. उन्होंने कहा, "केसीआर और नायडू इस दिशा में कोशिश कर रहे हैं. ममता दीदी ने हमें बुलाया था. हम सभी गए भी थे. यह कवायद 23 मई के बाद देखने को मिलेगी. पहले भी हम क्षेत्रीय दलों का प्रधानमंत्री देख चुके हैं. इस बार ज्यादा बड़ी गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेस सरकार बनेगी."
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