करीब 91 हजार करोड़ रुपये के बकाए में फंसे आईएलएंडएफएस समूह में शेयरधारकों के हितों को हर तरीके से नुकसान पहुंचाया गया। अकेले समूह की वित्तीय सेवाएं देने वाली कंपनी आइफिन ने शेयरधारकों के फंड से करीब 5 हजार करोड़ रुपये का मनी लान्ड्रिंग के जरिए गबन करने के सबूत मिले हैं और जांच जारी होने के कारण यह रकम अभी और बढ़ सकती है। यह जानकारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से बृहस्पतिवार को विशेष पीएमएलए अदालत को दी गई।
ईडी ने अदालत के सामने बृहस्पतिवार को रिमांड याचिका पेश की, जिसमें बुधवार को गिरफ्तार किए गए आइफिन के पूर्व संयुक्त प्रबंध निदेशक अरुण साहा और समूह की एक अन्य कंपनी आईएलएंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क्स के प्रबंध निदेशक रामचंद करुणाकरण से पूछताछ अधूरी रहने की जानकारी दी गई। अदालत ने इन दोनों अधिकारियों को अगले मंगलवार यानी 25 जून तक ईडी के रिमांड पर सौंप दिया है।
याचिका में ईडी ने दावा किया कि आईएलएंडएफएस समूह को उसके निदेशक ‘निजी जागीर’ की तरह चला रहे थे। निदेशकों ने समूह की कंपनियों की बेहतर क्रेडिट रेटिंग सुनिश्चित करने और बोनस जैसे इन्सेन्टिव लेने के लिए उनके टर्नओवर को बढ़ाकर दिखाने की कोशिश की। ईडी ने कहा, गलत तरीके से कर्ज बांटने और थर्ड पार्टी के जरिए पैसे का हेरफेर करने के कारण ही आईएलएंडएफएस करीब 91 हजार करोड़ रुपये के बकाए में फंसी है।
232 कंपनियों का था जटिल जाल
ईडी ने दावा किया है कि निदेशकों की समिति ने फर्जी तरीके से टर्नओवर और लाभ बढ़ा हुआ दिखाकर निवेशकों से पैसा लेने के लिए समूह में 232 कंपनियों का एक जटिल जाल फैला रखा था। ईडी के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए साहा व करुणाकरण और अन्य निदेशकों आर. पार्थसारथी, रमेश बावा, हरिशंकरन, विभाव कपूर व शहजाद दलाल की मौजूदगी वाले प्रबंधन बोर्ड द्वारा लापरवाही दिखाते हुए पूरे समूह के वित्त व रणनीति जैसे तमाम अहम मुद्दों को पूरी तरह नजरअंदाज करने की बात भी जांच में सामने आई है।
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ईडी ने अदालत के सामने बृहस्पतिवार को रिमांड याचिका पेश की, जिसमें बुधवार को गिरफ्तार किए गए आइफिन के पूर्व संयुक्त प्रबंध निदेशक अरुण साहा और समूह की एक अन्य कंपनी आईएलएंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क्स के प्रबंध निदेशक रामचंद करुणाकरण से पूछताछ अधूरी रहने की जानकारी दी गई। अदालत ने इन दोनों अधिकारियों को अगले मंगलवार यानी 25 जून तक ईडी के रिमांड पर सौंप दिया है।
याचिका में ईडी ने दावा किया कि आईएलएंडएफएस समूह को उसके निदेशक ‘निजी जागीर’ की तरह चला रहे थे। निदेशकों ने समूह की कंपनियों की बेहतर क्रेडिट रेटिंग सुनिश्चित करने और बोनस जैसे इन्सेन्टिव लेने के लिए उनके टर्नओवर को बढ़ाकर दिखाने की कोशिश की। ईडी ने कहा, गलत तरीके से कर्ज बांटने और थर्ड पार्टी के जरिए पैसे का हेरफेर करने के कारण ही आईएलएंडएफएस करीब 91 हजार करोड़ रुपये के बकाए में फंसी है।
232 कंपनियों का था जटिल जाल
ईडी ने दावा किया है कि निदेशकों की समिति ने फर्जी तरीके से टर्नओवर और लाभ बढ़ा हुआ दिखाकर निवेशकों से पैसा लेने के लिए समूह में 232 कंपनियों का एक जटिल जाल फैला रखा था। ईडी के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए साहा व करुणाकरण और अन्य निदेशकों आर. पार्थसारथी, रमेश बावा, हरिशंकरन, विभाव कपूर व शहजाद दलाल की मौजूदगी वाले प्रबंधन बोर्ड द्वारा लापरवाही दिखाते हुए पूरे समूह के वित्त व रणनीति जैसे तमाम अहम मुद्दों को पूरी तरह नजरअंदाज करने की बात भी जांच में सामने आई है।
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