बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने गुरुवार को नए प्रावधानों की व्यवस्था की है। ऐसा संपत्ति प्रबंधन करने वाली कुछ शीर्ष कंपनियों में तरलता के संकट के मद्देनजर किया गया।
सेबी ने दिए निर्देश
सेबी के नियमों में तरल योजनाएं पेश कर रहे म्यूचुअल फंड के लिए नकदी और सरकारी प्रतिभूतियों जैसी तरल संपत्तियों में अपने धन का कम से कम 20 फीसदी निवेश अनिवार्य करना और शेयर गिरवी रख कर धन लेने वाली कंपनियों के साथ यथास्थिति बनाए रखने का कोई करार करने पर पाबंदी शामिल है।
लिखित रूप से बतानी होगी वजह
इस संदर्भ में सेबी ने कहा है कि यदि बंधक या गिरवी रखे शेयरों का आंकड़ा कंपनी की शेयर इक्विटी पूंजी के 20 फीसदी को पार कर जाता है, तो प्रवर्तकों को इसकी लिखित रूप से वजह बतानी होगी।
प्रौद्योगिकी कंपनियों पर लागू होगा यह नियम
सेबी के निदेशक मंडल की बैठक के बाद जारी नए निर्देशों में नियामक ने कहा है कि शेयरों पर किसी तरह की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष देनदारी होने पर उन्हें बंधक शेयर माना जाएगा। सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने बोर्ड की बैठक के बाद कहा कि नई व्यवस्था के तहत उत्कृष्ट मताधिकार वाले शेयर जारी करने वाली कंपनियों को सूचीबद्धता के लिए सिर्फ सामान्य शेयर जारी करने की मंजूरी दी जा सकती है। त्यागी ने कहा कि नए नियम सिर्फ प्रौद्योगिकी कंपनियों पर लागू होंगे।
मताधिकार वाले शेयरों को कराना होगा सूचीबद्ध
सेबी ने कहा कि आईपीओ आ जाने के बाद उत्कृष्ट मताधिकार वाले शेयरों को भी शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कराना होगा। हालांकि आईपीओ के बाद उत्कृष्ट मताधिकार वाले शेयरों को अगले पांच साल तक सामान्य शेयरों में नहीं बदला जा सकता है। प्रवर्तकों के पास रखे उत्कृष्ट मताधिकार वाले शेयरों को न तो हस्तांतरित किया जा सकता है और न ही इन्हें गिरवी रखा जा सकता है।
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